JULY 2012
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विज्ञान एवं तकनीकी के विकास का एक मंत्र : प्रतिभा पहचान, उत्साहवर्धन एवं उचित सम्मान (A mantra for Science & Technology development: Recognize, Encourage and Honor) भारतीय विज्ञान एवं तकनीकी की परंपरा एवं उत्कर्ष का गौरवशाली इतिहास हमें पढने को मिलता है| जब दुनिया में मनुष्य एवं पशु में भेद नहीं था, उस समय भारत के घर घर में बच्चे वेदों के मंत्रो का उच्चारण किया करते थे| प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन करने पर जो एक महत्वपूर्ण बात ध्यान में आती है वह है कि भारत सदैव से ज्ञान का उपासक रहा है| धन-सम्पदा, साम्राज्य आदि का स्थान ज्ञान के उपरांत ही आता था| ज्ञान की उपासना करने वालो के उचित सम्मान, भरण-पोषण एवं रक्षा के उत्तर दायित्व को निभाते हुए, हमारे पूर्वजो ने ज्ञान-विज्ञान एवं तकनीकी को उत्कर्ष तक पहुचाया| दुनिया भर के महान वैज्ञानिको, दार्शिको, समाजशास्त्रियो द्वारा मुक्तकंठ से इसकी प्रशंषा की गई तथा आज भी की जाती है| वैज्ञानिक अलबर्ट इन्स्ताइन ने कहा: " हम भारत के ऋणी है जिसने हमें गिनती करना सिखाया, उसके बिना कोई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज संभव नहीं होती "| इसी प्रकार वैज्ञानिक वार्नर हाइजेनबर्ग ने कहा: "भारतीय दर्शन के बारे में विचार-विमर्श करने के बाद क्वांटम भौतिकी जो एक कौतुहल सी लगती थी, अचानक से अधिक अर्थ रखने लगी है "|
इस गौरवशाली उत्थान के साथ हमें इतिहास में कुछ शासको द्वारा कि गई भूले भी ध्यान में आती है जब आचार्यो, कला विशारदो आदि का अपमान हुआ| उन सभी कालखंडो में हम देखते है कि नव सृजन की कल्पना एवं गति धीमी हो गई और एक सबल समाज के ज्ञान एवं नव निर्माण की उत्पादकता कम हो पतन की और अग्रसर हो गयी| एक राष्ट्र के उत्थान में विज्ञान एवं तकनीकी का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है| विज्ञान एवं तकनीकी के विकास का एक मंत्र यह भी है कि विज्ञान में रूचि रखने वाली प्रतिभाओ की पहचान, उत्साहवर्धन एवं उचित सम्मान सदैव होता रहे, साथ ही राष्ट्र के लिए विशेष प्रयत्न करने वाले वैज्ञानिको के प्रयासों को समाज के सामने रचनात्मक एवं सम्मानजनक रुप मे रखा जाए| प्रस्तुत है आधुनिक भारत के प्रेरणादायी वैज्ञानिको तथा विलक्षण प्रतिभाओ के प्रयासों की एक झलक:
THE PIONEER OF THE INDIAN SPACE RESEARCH PROGRAM
RAMANUJAN - NATURAL GENIUS MATHEMATICIAN CHANDRAYAAN-1, INDIA'S FIRST MISSION TO THE MOON |
गीत: एक साथ उच्चार करे एक साथ उच्चार करे, हम ऐसा व्यवहार करे
एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥ आज नही प्राचीन समय से, मन्त्र हमारा साथी दुर दुर तक फैलायी थी, आर्य धर्म की ख्याती काल चक्र जब घूम पडा तब, लक्ष्य हुआ था ओझल जाग उठी है दृष्ठि हमारी, रही नही अब ओझल दिव्य दृश्य सन्देश स्मरे, हम ऐसा व्यवहार करे एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥ वेद और उपनिषद सिखाते, क्या कर्तव्य हमारा राम कथा गीता सिखलाती, जो गन्तव्य हमारा मिले विश्व मे दुर दुर तक, संस्कृति के बिखरे अवशेष करते प्रेरित करो पुन: तुम बिखरित जागृति के सन्देश पूजन से अवकाश भरे, हम ऐसा व्यवहार करे एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥ अखिल विश्व मे एक बार फिर उन्नत ध्वज भगवा डोले अखिल विश्व मे एक बार फिर आर्य धर्म की जय बोले वेदों के अनुशीलन से हम अविष्कार नित नये करे दुनिया का मानव भारत का आराधन और नमन करे जग अपना उद्धार करे, हम ऐसा व्यवहार करे एक मन्त्र का घोष करे, कृण्वन्तो विश्वमार्यम ॥ ---------- |